ऐसे लोगों को पहचान सकते हैं, जो बिना लक्षणों के कोरोना वायरस कैरी कर रहे हैं?

ऐसे लोगों को पहचान सकते हैं, जो बिना लक्षणों के कोरोना वायरस कैरी कर रहे हैं?

ऐसे लोगों को पहचान सकते हैं, जो बिना लक्षणों के कोरोना वायरस कैरी कर रहे हैं?
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                                          फोटो क्रेडिट-PTI

फरवरी 2020. चीन के वुहान में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच सभी देश वहां फंसे अपने नागरिकों को वापस ला रहे थे. अमेरिका ने भी अपने नागरिकों को वापस लाया. उनका मेडिकल टेस्ट किया. ये जानने के लिए कि कहीं वो कोरोना वायरस की चपेट में तो नहीं हैं. एक यूएस सिटिजन का कैलिफोर्निया के सैन डियागो के एक अस्पताल में टेस्ट हुआ. नतीजा निगेटिव आया. कुछ दिन बाद दोबारा उस व्यक्ति का टेस्ट हुआ. इस बार पता चला कि उसके शरीर में कोरोना वायरस है. उसी दौरान जापान से भी इस तरह के दो मामले सामने आए. शुरुआती टेस्ट में कोरोना वायरस निगेटिव नतीजा आया, बाद के टेस्ट में पॉजिटिव.


ऐसा क्यों? क्योंकि ये तीनों कोरोना वायरस के ‘साइलेंट कैरियर’ थे. इनके शरीर में मौजूद कोरोना वायरस का पता उन टेस्टिंग मेथड से नहीं हो सका, जो एक महीने पहले तक आमतौर पर यूएस में कोरोना का पता लगाने के लिए इस्तेमाल की जा रही थीं.

इन सारे सवालों के जवाब जानने के लिए हमने बात की वायरोलॉजिस्ट दिलीप से. ये अमेरिका में रहते हैं. इनसे हमें जो पता चला, उसके मुताबिक आगे सारे जवाब बताए जा रहे हैं.

साइलेंट कैरियर कौन होते हैं?

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आमतौर पर अगर किसी व्यक्ति के शरीर में कोरोना वायरस चला जाता है, तो दो से तीन दिन के अंदर कोविड-19 के लक्षण दिखने लगते हैं. जैसे बुखार आना, फ्लू होना, कोल्ड होना, शरीर में दर्द होना. तीन से पांच दिन में ये लक्षण थोड़े और बढ़ जाते हैं. पांच से 10 दिन में सांस लेने में दिक्कत होने लगती है, निमोनिया के लक्षण दिखने लगते हैं.

लेकिन जो साइलेंट कैरियर होते हैं, उनके शरीर में कोरोना वायरस आने के बाद भी कोविड-19 के लक्षण जल्दी सामने नहीं आते. उन्हें शुरुआती 10 दिन में सर्दी नहीं होती. होती भी है, तो ज्यादा बढ़ती नहीं. फीवर नहीं आता. आता भी है, तो तेज़ नहीं. यानी कोविड-19 के लक्षण सामने आने में 10 से 15 दिन का वक्त लग जाता है. हो सकता है कि 15 दिन के बाद भी कोविड-19 के लक्षण दिखाई ही न दें. लेकिन उस दौरान ये ‘साइलेंट कैरियर्स’ वायरस फैलाते रहते हैं. यानी इनके संपर्क में आने वाले व्यक्ति कोरोना वारयस की चपेट में आ सकते हैं.

ऐसा क्यों होता है?

डॉक्टर दिलीप ने बताया कि सबकुछ निर्भर करता है व्यक्ति के इम्यून सिस्टम पर. यानी बीमारियों से लड़ने की क्षमता पर. जिन लोगों का इम्यून सिस्टम अच्छा होता है, उनका शरीर कोरोना की चपेट में आने के बाद भी उससे लड़ता है. उसे बीमारी के तौर पर पनपने से रोकता है. यही वजह है कि कोविड-19 के लक्षण कुछ लोगों के शरीर में जल्दी सामने नहीं आते. ये लोग बन जाते हैं साइलेंट कैरियर. क्योंकि इन्हें ही नहीं पता चल पाता है कि शरीर में कोरोना पहुंच भी चुका है.

लक्षण कब तक सामने आते हैं?
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डॉक्टर दिलीप ने बताया,

‘कोरोना के लक्षण अमूमन पांच से 10 दिन के अंदर दिख जाते हैं, लेकिन साइलेंट कैरियर्स के साथ ऐसा नहीं होता. 10 दिन बाद ही थोड़े-बहुत लक्षण दिखते हैं. ये भी हो सकता है कि कोई लक्षण दिखे ही न. हो सकता है कि उनका शरीर स्ट्रॉन्ग इम्यून सिस्टम होने की वजह से खुद-ब-खुद 15 दिन तक कोरोना से लड़ता रहे और उससे पार पा ले. यानी वायरस को खत्म कर दे.’

किस उम्र के लोग होते हैं साइलेंट कैरियर्स?

डॉक्टर दिलीप ने बताया कि ज्यादातर मिलेनियल्स यानी युवा साइलेंट कैरियर्स होते हैं, क्योंकि बच्चों और बूढ़ों की अपेक्षा इनका इम्यून सिस्टम स्ट्रॉन्ग होता है.

क्या ब्लड ग्रुप से कोई रिलेशन है?

हाल ही में एक रिपोर्ट आई थी, जिसमें कहा गया था कि O+ ब्लड ग्रुप वालों की तुलना में A ब्लड ग्रुप वाले लोग कोरोना से जल्दी संक्रमित हो सकते हैं. डॉक्टर दिलीप ने भी इस रिसर्च के हवाले से कहा,

‘कोरोना किस ब्लड ग्रुप वाले के शरीर में जल्दी हो सकता है, इस पर तो चीन में रिसर्च हुई है. लेकिन कौन-से ब्लड ग्रुप वाले लोग साइलेंट कैरियर्स ज्यादा हो सकते हैं, इस पर रिसर्च अभी नहीं हुई है. इसलिए साइलेंट कैरियर्स होने का व्यक्ति के ब्लड ग्रुप से कोई रिलेशन है या नहीं, इस पर अभी कोई जवाब देना मुश्किल है. रिसर्च का विषय है.’

आदमी या औरत, कौन साइलेंट कैरियर्स ज्यादा?

फरवरी में चाइनीज़ सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने एक एनालिसिस पब्लिश किया था, जिसमें कहा गया था कि कोरोना की वजह से मरने वालों की संख्या में पुरुषों की संख्या महिलाओं की तुलना में काफी ज्यादा है. हालांकि कोरोना से इन्फेक्टेड लोगों में महिलाओं और पुरुषों की संख्या लगभग-लगभग बराबर बताई गई

खैर, इस रिसर्च में बात हुई थी कोरोना से मरने वालों की संख्या पर. लेकिन यहां सवाल ये है कि साइलेंट कैरियर्स महिलाएं ज्यादा होती हैं या पुरुष? सवाल के जवाब में डॉक्टर दिलीप ने कहा,

‘रिसर्च ये आई है कि मरने वालों में पुरुषों की संख्या ज्यादा है. लेकिन साइलेंट कैरियर्स का जेंडर से कोई रिलेशन है या नहीं, इस पर अभी तक कोई रिसर्च हुई नहीं है. इसलिए अभी ये नहीं कहा जा सकता कि महिलाओं के या पुरुषों के, किसके साइलेंट कैरियर्स होने की संभावना ज्यादा है.’

कैसे पता करें कि सामने वाला साइलेंट कैरियर है या नहीं?

डॉक्टर दिलीप ने कहा ये पता करना बहुत मुश्किल है. क्योंकि जब तक के किसी व्यक्ति का शरीर किसी तरह का लक्षण नहीं दिखाएगा, कोई कैसे जान पाएगा. आगे उन्होंने कहा,

‘ये काफी खतरनाक है, क्योंकि साइलेंट कैरियर्स को खुद नहीं पता होता कि उनके शरीर में कोरोना है. वो कई लोगों के कॉन्टैक्ट में आते हैं. उनके शरीर से कइयों के शरीर तक वायरस पहुंच जाता है. और हर किसी का इम्यून सिस्टम तो स्ट्रॉन्ग होता नहीं है, इसलिए हो सकता है कि साइलेंट कैरियर्स से जिन्हें वायरस मिला हो, वो बीमार पड़ जाएं. उन्हें समझ ही न आए कि वायरस कैसे लगा.’

ऐसे में क्या करना चाहिए?

डॉक्टर दिलीप ने एक सबसे जरूरी उपाय बताया. ये कि जितना हो सके सोशल डिस्टेंसिंग करें. कहा,

‘हालात को कंट्रोल करने के लिए, साइलेंट कैरियर्स से बचने के लिए जितना हो सके लोगों से दूर रहें. सोशल डिस्टेंसिंग करें. समय-समय पर हाथ धोएं. रोज़ नहाएं. मुंह, आंख, नाक, कान को बार-बार न छुएं. अच्छा खाना खाएं. भीड़ वाली जगहों पर न जाएं, क्योंकि आपको नहीं पता कि साइलेंट कैरियर कौन है. आगे के 10 से 15 दिन का वक्त बहुत क्रिटिकल है. क्योंकि कोरोना किसी व्यक्ति के शरीर में 15 दिन तो रहता ही है. आइसोलेटेड रहें, हो सकता है कि आपके शरीर में कोरोना हो, तो इन दिनों के अंदर कुछ लक्षण नज़र आ जाएं. अगर सिम्टम्स नज़र नहीं भी आते हैं, तो हो सकता है कि आप खुद साइलेंट कैरियर रहे हों. ऐसे में 15 दिन के अंदर आपका शरीर स्ट्रॉन्ग इम्यून सिस्टम होने के कारण खुद-ब-खुद वायरस को भगा दे. ऐसे में ये आपके शरीर से किसी को नहीं फैलेगा और आप भी सुरक्षित रहेंगे.’

साइलेंट कैरियर्स से सबसे ज्यादा खतरा किसे?
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उनके साथ घर में रहने वाले बुजुर्गों और बच्चों को, क्योंकि उनका इम्यून सिस्टम उतना स्ट्रॉन्ग नहीं होता, ऐसे में उनके शरीर पर जल्दी वायरस लग सकता है. इसलिए डॉक्टर दिलीप ने सलाह दी कि सोशल डिस्टेंसिंग का मतलब ये नहीं कि परिवार के साथ मज़े से कुछ-कुछ बनाकर खाएं या गेट-टुगेदर करें. सबसे दूर रहें.

उस सवाल का जवाब, जहां से खबर शुरू हुई?

‘अमेरिका और जापान के जिन तीन आदमियों का पहले कोरोना टेस्ट निगेटिव आया था, फिर बाद में पॉजिटिव आया, उनके साथ ऐसा क्यों हुआ? क्या साइलेंट कैरियर के अंदर मौजूद कोरोना वायरस टेस्ट में भी नहीं नज़र आते?’

इस सवाल के जवाब में डॉक्टर दिलीप ने कहा,

‘अभी कोरोना वायरस की टेस्टिंग मेथड्स (मेडिकल जांच प्रक्रिया) विकसित की जा रही हैं. अलग-अलग तरह से टेस्ट करके कोरोना का पता लगाया जा रहा है. हो सकता है कि इन तीन आदमियों का जो टेस्ट पहले हुआ था, उसमें इनके शरीर में मौजूद वायरस से रिस्पॉन्ड न किया हो. दूसरे-तीसरे टेस्ट में किया हो. वैसे भी इस वक्त डॉक्टर उन्हीं लोगों के टेस्ट प्राथमिकता से कर रहे हैं, जिनके शरीर में किसी तरह का कोई सिम्टम दिख रहा है. बिना सिम्टम के टेस्ट नहीं हो रहे हैं. क्योंकि टेस्टिंग मेथड्स और टेस्टिंग किट्स की कमी है.’

दुनिया के हाल क्या हैं?
                                
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Worldometer के मुताबिक, दुनियाभर में कोरोना के अब तक 245,885 मामले सामने आ चुके हैं. 10,048 लोगों की मौत हो चुकी है. चीन और इटली की हालत सबसे खराब है. चीन में 80,967 कन्फर्म मामले आए हैं, इनमें से 3,248 की मौत हो चुकी है. वहीं इटली में कन्फर्म केस की संख्या 41,035 है. 3,405 लोगों की मौत हो चुकी है. इरान, स्पेन, जर्मनी, अमेरिका और फ्रांस में भी कन्फर्म मामलों की संख्या 10,000 से ज्यादा है.

अब बात भारत की

भारत में अब तक 201 मामले सामने आए हैं. पांच लोगों की मौत हो चुकी है. एक मौत कर्नाटक में 76 साल के बुजुर्ग की हुई. दूसरी मौत दिल्ली में एक महिला की हुई. बेटे से संपर्क में आने के बाद वो कोरोना की चपेट में आई थी. तीसरी मौत मुंबई में 64 साल के बुजुर्ग की हुई. वो कुछ दिन पहले दुबई से लौटे थे. चौथी मौत 19 मार्च को पंजाब में हुई. मरने वाले व्यक्ति की उम्र 72 बरस थी. वो कुछ ही दिन पहले इटली होते हुए जर्मनी से भारत लौटे थे. पांचवीं मौत जयपुर में हुई. मरने वाला व्यक्ति इटली से आया एक टूरिस्ट था. भारत में कोरोना के सबसे ज्यादा कन्फर्म मामले महाराष्ट्र में मिले हैं. मामलों की संख्या अभी 52 है.

स्रोत - द ललनटोप

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